शरीर और मन से अलग थलग रहकर ही व्यक्ति शाश्वतता, अमरता के प्रति जागरूक हो जाता है। यही अमृत है। चलो इसका स्वाद लें, इसकी एक बूँद भी पर्याप्त है।
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Philosia चलो आज से संसार में रहते हुए संन्यास…
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शरीर और मन से अलग थलग रहकर ही व्यक्ति शाश्वतता, अमरता के प्रति जागरूक हो जाता है। यही अमृत है। चलो इसका स्वाद लें, इसकी एक बूँद भी पर्याप्त है।